
@नवल ख़बर ब्यूरो
काशीपुर। गोद लिए गए 50 बच्चों को आध्यात्मिक एवं धार्मिक ज्ञान से परिचित कराने के उद्देश्य से सुभाष चंद्र बोस राष्ट्रीय छात्रावास, काशीपुर में एक भव्य धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजन संपन्न हुआ। डी-बाली ग्रुप की डायरेक्टर एवं समाजसेविका श्रीमती उर्वशी दत्त बाली, छात्रावास वार्डन ज्योति राणा एवं समस्त स्टाफ के कुशल नेतृत्व में छात्रावास परिसर खुशियों, भक्ति संगीत और बच्चों की मुस्कान से गुलजार नजर आया।
इस अवसर पर गुरुकुल फाउंडेशन के नीरज कपूर अपने बच्चों एवं लगभग 30 स्टाफ सदस्यों के साथ छात्रावास पहुंचे और बच्चों को उनके उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाओं के साथ उपहार भेंट किए। यह बच्चों के लिए एक सुखद सरप्राइज रहा, जिससे पूरे परिसर में उल्लास और उत्साह का वातावरण बन गया।

कार्यक्रम के अंतर्गत सनातन धर्म के मूल्यों को समर्पित तुलसी पूजन का भव्य आयोजन किया गया। बच्चों को बताया गया कि हिंदू धर्म में ईश्वर को सर्वव्यापक माना गया है, जो केवल मंदिरों या मूर्तियों में ही नहीं, बल्कि सृष्टि के कण-कण में विद्यमान हैं। इसी कारण प्रकृति, पौधों, पशु-पक्षियों, जल और पंचमहाभूतों—अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश—की पूजा की जाती है। बच्चों को करुणा, अहिंसा, प्रेम और शांति का संदेश भी दिया गया तथा यह समझाया गया कि धर्म की सच्ची शिक्षा हिंसा नहीं, बल्कि संयम और सद्भाव सिखाती है।
यह कार्यक्रम हिंदू वाहिनी संगठन के राष्ट्रीय महासचिव आनंद तिवारी एवं प्रदेश अध्यक्ष रुचिन शर्मा के नेतृत्व में संपन्न हुआ। संस्था द्वारा भोजन एवं प्रसाद की व्यवस्था भी की गई।
🌿 तुलसी माता की साज-सज्जा प्रदेश अध्यक्ष (महिला प्रकोष्ठ) श्रीमती पूजा अरोड़ा के नेतृत्व में संगठन की महिलाओं, स्कूल के बच्चों एवं मिनी इवेंट्स के सहयोग से की गई। छात्रावास में स्थापित मंदिर की सजावट आर्ट एंड क्राफ्ट शिक्षक राज राणा द्वारा की गई, जबकि मंदिर के लिए सहयोग श्रीमती सुधा जिंदल ने प्रदान किया। इस दौरान सोनी सेठ द्वारा बच्चों को तुलसी पूजन के अवसर पर योग कार्पेट एवं अन्य उपयोगी उपहार भी वितरित किए गए।
बच्चों को छह दिनों तक आरती एवं प्रार्थना का अभ्यास कराया गया और बताया गया कि तुलसी जी में माता लक्ष्मी का वास माना जाता है तथा घर में सुख-समृद्धि के लिए तुलसी का विशेष महत्व है। आयोजन का उद्देश्य बच्चों में संस्कार, अनुशासन एवं धर्म के प्रति श्रद्धा का भाव विकसित करना रहा। उन्हें यह संदेश दिया गया कि जहाँ जीवन है, वहीं ईश्वर हैं—यही सनातन धर्म की सच्ची शिक्षा है।
